Wednesday, 19 August 2015

पाकिस्तान के नाम (कविता)



पाकिस्तान के नाम (कविता)
                     डॉ. रामवृक्ष सिंह
हिंस्र पशु है वो मगर हम शान्ति के शाश्वत पुजारी।
कोई बतलाए कभी क्या शान्ति है हिंसा से हारी।।

प्रेम से यदि वह न माने तो हमें आती लड़ाई।
फिर कोई हमसे न कहना जान गर उसने गँवाई।।

वह अगर छोटा है हमसे कर रहा उद्दंडता क्यों।
दे न पाएँ माफियाँ हम, कर रहा ऐसी खता क्यों।

युद्ध यदि लाजिम हुआ तो हम लड़ेंगे प्राण-पण से।
आन पर आ जाए यदि तो भय नहीं हमको मरण से।

किन्तु जिनको युद्ध भाए, मूर्ख हैं, नादान हैं वे।
शान्ति के हम हैं पुजारी युद्ध का आह्वान हैं वे।

दीन को, अपने खुदा को क्यों हैं वे बदनाम करते।
क्यों नहीं कौमी तरक्की के लिए कुछ काम करते।

पेशतर होता कि पढ़-लिखकर भले इन्सान बनते।
डॉकटर बनते, मुदर्रिस या कि साइंसदान बनते।

होश में आते ही गोले बम और बंदूकें उठा ली।
आदमी है वे कि आदम जात को हैं एक गाली।।

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